ढाका। बांग्लादेश सबसे बड़े संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं उन्हें देश छोड़कर भारत आना बना पड़ा है। बांग्लादेश में फिलहाल सेना प्रमुख ने कमान संभाल ली है। इतनी ही नहीं राष्ट्रपति ने जेल में बंद पूर्व पीएम और विपक्षी नेता खालिदा जिया की रिहा करने का आदेश दिया है। वह भ्रष्टाचार के मामले में 2018 से जेल में बंद हैं। उन्हें 17 साल की सजा सुनाई गई है। बता दें कि बांग्लादेश में पिछले करीब 2 महीने से आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन चल रहा है। इस बीच एक नाम चर्चा में बना हुआ है। बांग्लादेश की जनता मोहम्मद यूनुस को प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रही है। आखिर यह कौन हैं और जनता इन्हें क्यों प्रधानमंत्री बनाना चाहती है, इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं।
बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को नई सरकार के गठन के लिए सलाहकार बनाया गया है। इनके नेतृत्व में अंतरिम सरकार की रूपरेखा तैयार होगी। यूनुस ने बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी। गरीबी विरोधी अभियान के लिए उन्हें 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। वह बांग्लादेश के एक सामाजिक उद्यमी, एक बैंकर, एक अर्थशास्त्री और सिविल सोसायटी के नेता हैं। 28 जून 1940 को जन्मे मोहम्मद यूनुस को यूनाइटेड स्टेट्स प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया जा चुका है।
मोहम्मद यूनुस ने 1961 से 1965 तक बांग्लादेश के चटगांव विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। इसके बाद वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की। उन्होंने माइक्रो क्रेडिट के माध्यम से बांग्लादेश में एक कार्यक्रम शुरू किया। 18 फरवरी 2007 को मोहम्मद यूनुस ने नागरिक शक्ति नाम से एक राजनीतिक पार्टी भी बनाई थी। हालांकि श्रम कानूनों के उल्लंघन के आरोप में उन्हें 6 महीने की सजा भी सुनाई जा चुकी है। साल 2012 में उन्हें स्कॉटलैंड के ग्लासगो कैलेडोनियन विश्वविद्यालय का चांसलर भी बनाया गया।