भिलाई . जिला और सिविल हॉस्पिटल में दाखिल मरीजों में उल्टी-दस्त और बुखार के रोगियों की संख्या अधिक है। शहर के अलग-अलग क्षेत्र से यह मामले आ रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक बारिश के दिनों में पानी की वजह से लोग बीमार होते हैं। नल, बोरिंग का पानी उपयोग करने से पहले उबाल लिया जाए, तो फिर यह परेशानी नहीं होगी। चिकित्सकों के मुताबिक इस मौसम में मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है। मलेरिया, डेंगू समेत अन्य बुखार लोगों को होती है। इससे बचाव के लिए घर के आसपास साफ-सफाई और पानी को एकत्र होने न दें। सोते वक्त मच्छरदानी का उपयोग करें।
यहां से आ रहे हैं मरीज
राम नगर, सुपेला, भिलाई में रहने वाले उमेश और उनकी पत्नी पिछले चार दिनों से उल्टी-दस्त से पीडि़त हैं। उनको सिविल हॉस्पिटल में दाखिल किया गया है। शुरू में हालत खराब थी। अब स्थिति में सुधार हो गया है। वे बोरिंग और शिवनाथ नदी से आने वाले पाइप से पानी उपयोग करते हैं। घर में मौजूद दोनों सदस्यों को एक साथ यह परेशानी हुई है। कैंप में रहने वाली प्रतिभा वर्मा उल्टी दस्त से पीडि़त है। वहीं 6 साल की बालिका निवासी सुपेला, चिंगरी पारा बुखार से पीडि़त है। इसी तरह से कैंप में रहने वाली एक बालिका पेट दर्द की वजह से दाखिल है।
20 फीसदी बढ़ गए मरीज
बारिश शुरू होने से पहले सिविल हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या ओपीडी में करीब 300 से 350 के दरमियान रहती थी। वह बढ़कर अब 400 से 500 तक पहुंच चुकी है। अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों में भी सबसे अधिक उल्टी दस्त, बुखार के रोगी हैं।
इस वजह से हो रहे बीमार
विशेषज्ञों के मुताबिक बारिश में पानी से नाना प्रकार के जीव जन्तु व वस्तुएं बहकर नदी नालों में चले आते है। उसी प्रकार बारिश के पानी में रोगों के जीवाणु बहकर पीने योग्य पानी में मिल जाते हैं। इसमें कुंआ का पानी, हैंड पंप का पानी, नल से आने पाला पानी उपयोग करने से दस्त, उल्टी-दस्त, पीलिया, टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू के जीवाणु मनुष्य के शरीर में पीने के पानी के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं। नदी का पानी नलों से घरों तक पहुंचता है। इसका उपयोग बहुतायत क्षेत्रों में किया जाता है। पाइप में किसी तरह का लिकेज या गंदा पानी प्रवेश करता है, तब उल्टी-दस्त की शिकायत होती है। इसकी वजह से ही महामारी की आशंका भी बनी रहती है।
दूषित पानी से बचने का यह है रास्ता
शहरी क्षेत्रों में नलजल योजना का पानी सभी नगर वासियों के घरों तक पहुंचा हुआ है। इसमें से आने वाली पानी का सेवन सभी करते हैं। वहीं किसी कारण से पानी दूषित होकर घरों से पहुंच जाए, तो उल्टी-दस्त की शिकायत हो जाती है। इससे बचने का रास्ता यह है कि लोग पानी छानकर, उबालकर ही उपयोग करें। यहां से पहुंचता है शरीर में बैक्टीरिया विशेषज्ञ चिकित्सक के मुताबिक बारिश में कम से कम 4 माह तक गंदा पानी, बासी भोजन, सड़े गले फल, सब्जियां, भाजी, मशरूम (फुटू), सरई बोड़ा, मांस-मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में खाने के माध्यम से बैक्टीरिया पहुंच जाते हैं। यही उल्टी-दस्त का कारण बनते हैं।
जिला में यहां से मिले उल्टी दस्त के मरीज
जिला में इस साल उल्टी दस्त की शिकायत धमघा से 10 ओपीडी, 2 आईपीडी मेड़ेसरा से 13 ओपीडी 2 आईपीडी व अहिवारा से 14 ओपीडी 2 आईपीडी की मिल चुकी है। इसके पहले जो संक्रमित हुए थे। वे ठीक हो चुके हैं। उल्टी दस्त की जहां से शिकायत मिल रही है। वहां ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में मितानिनों, महिला, पुरुष स्वास्थ्य संयोजक से जीवन रक्षक औषधि के रूप में ओआरएस पैकेट, जिंक टेबलेट, मेट्रोजिल टेबलेट, क्लोरिन टेबलेट, ब्लिचिंग पाउडर का क्षेत्र में वितरण कर रहे हैं।
बारिश के मौसम में पानी का उपयोग उबालकर करें। ताजा भोजन का ही उपयोग करें। उल्टी दस्त की शिकायत मिलने पर तुरंत समीप के अस्पताल जाकर चिकित्सक से उपचार करवाएं। सोते वक्त मच्छरदानी का उपयोग जरूर करें।
डॉक्टर सीबीएस बंजारे, जिला मलेरिया अधिकारी, दुर्ग