खबरनवीस डेस्क। Pahalgam attack जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौता रद्द करने सहित कई सख्त कदम उठाए हैं। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार खत्म करने और भारतीय एयरलाइंसों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद करने का ऐलान किया है। साथ ही शिमला समझौते को खत्म करने की भी धमकी दी है। ऐसे में आइए जानते हैं शिमला समझौता क्या है?
Pahalgam attack side effect क्या है शिमला समझौता
भारत ने सैन्य हस्तक्षेप कर मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर बांग्लादेश के रूप में नया देश स्थापित किया था। उस युद्ध में भारत ने लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया था। इसके करीब 16 महीने बाद 2 जुलाई, 1972 को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे ‘शिमला समझौता’ के नाम से जाना जाता है।
शिमला समझौते के क्या थे प्रावधान?
शिमला समझौते में दोनों देशों ने शांतिपूर्ण तरीकों और बातचीत के जरिए अपने मतभेदों का समाधान करने की प्रतिबद्धता जताई थी। इसका मकसद शांति बनाए रखना और रिश्ते सुधारना था। Pahalgam attack इस समझौते के जरिए भारत-पाकिस्तान ने तय किया था कि दोनों देश कोई भी विवाद आपसी बातचीत से सुलझाएंगे। इसमें कोई तीसरा देश या संगठन दखल नहीं देगा।कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) को कोई भी देश एकतरफा नहीं बदलेगा और दोनों देश इसका पूरी ईमानदारी से सम्मान करेंगे।
समझौता खत्म होने के क्या होंगे परिणाम?
अगर भारत-पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता (1972) खत्म होता है, तो पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र या अन्य देशों के सामने उठाने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा।LoC पर संघर्ष विराम की स्थिति और शांति भंग हो सकती है। ऐसे में भारतीय सेना को ज्यादा चौकन्ना रहना पड़ेगा। हालांकि, भारत भी कश्मीर सहित पाकिस्तान से जुड़े अन्य मुद्दों को संयुक्त राष्ट्र तक ले जा सकता है, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव उच्च स्तर पर पहुंच जाएगा।
पाकिस्तान ने भारत को दी चेतावनी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक में कहा गया है कि सिंधु जल संधि के तहत नदी के पानी को रोकने या उसके रुख को मोड़ने के भारत के प्रयास को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।