Tuesday, January 14, 2025

Mukesh Chandrakar murder case: पत्रकार मुकेश चंद्रकार हत्याकांड में SIT ने सुरेश से 3 घंटे की कड़ी पूछताछ, कमरा नंबर 11 में हुई थी नृशंस हत्या, झूठ बोलता रहा सुरेश

Mukesh Chandrakar murder case: एसआईटी ने मुख्य साजिशकर्ता व आरोपी से प्रारंभिक पूछताछ के बाद 5 पेज का जारी किया प्रेस नोट, कैसे की गई मुकेश की हत्या, बताया पूरा सच, शुरुआत से ही पुलिस से बोलता रहा झूठ

जगदलपुर। पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या (Mukesh Chandrakar murder case) के मुख्य साजिशकर्ता व आरोपी सुरेश चंद्रकार से एसआईटी की टीम ने 3 घंटे तक कड़ी पूछताछ की। इसके बाद उसने हत्या का पूरा सच बताया। पूछताछ के बाद पुलिस ने 5 पेज का प्रेस नोट जारी करते हुए हत्याकांड से जुड़े खुलासे किए। एसआईटी के के अनुसार ठेकेदार सुरेश के भाई दिनेश चंद्रकार ने सबसे पहले मुकेश की हत्या की बात स्वीकार की थी। हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद वह बीजापुर के जिला अस्पताल में भर्ती हो गया था। उसने बीमारी का बहाना बनाया था।

पत्रकार मुकेश चंद्रकार हत्याकांड (Mukesh Chandrakar murder case) मामले में पुलिस ने उसके ही चचेरे भाइयों ठेकेदार सुरेश चंद्रकार, उसके 2 छोटे भाइयों दिनेश चंद्रकार, रितेश चंद्रकार व मुंशी महेंद्र रामटेके को गिरफ्तार किया था।

Mukesh Chandrakar murder case
Accused Dinesh, Ritesh and Mahendra

पूछताछ में सभी ने हत्या की साजिश फिर वारदात को अंजाम देने की बात पुलिस व एसआईटी के समक्ष कबूल की। इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी ने 9 जनवरी को मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश से जब 3 घंटे तक कड़ाई से पूछताछ की तो उसने मामले का खुलासा किया।

Mukesh Chandrakar murder case: दिनेश तक ऐसे पहुंची पुलिस

पत्रकार मुकेश चंद्रकार 1 जनवरी की रात से ही गायब था। पुलिस उसकी खोजबीन (Mukesh Chandrakar murder case) कर रही थी। इसी बीच पुलिस संदेह के आधार पर दिनेश तक पहुंची। पुलिस ने डॉक्टर से इजाजत लेकर दिनेश से 3 घंटे तक पूछताछ की तो उसने हत्या की बात स्वीकार कर ली।

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कमरा नंबर 11 में की नृशंस हत्या

दिनेश से पूछताछ में पता चला कि 1 जनवरी की रात 8.30 से 10 बजे के बीच मुकेश को सुरेश चंद्रकार के बाड़े में मारा गया। बाड़े में मौजूद 17 कमरों में से कमरा नंबर 11 में मुकेश की नृशंस हत्या (Mukesh Chandrakar murder case) की गई थी। इसके बाद उसी कमरे में बैठकर दिनेश, रितेश व मुंशी महेंद्र रामटेके ने शव को ठिकाने लगाने की साजिश रची। इसके बाद सेप्टिक टैंक में शव को डालकर ऊपर से ढलाई कर दी थी।

Mukesh Chandrakar murder case
Saptic tank

2 बार हत्या का सीन कराया रिक्रिएट

दिनेश ने अपने भाई रितेश व मुंशी महेंद्र के साथ मिलकर हत्या व शव छिपाने की बात स्वीकार की तो पुलिस ने महेंद्र रामटेके को बीजापुर के बस स्टैण्ड से गिरफ्तार किया। इसके बाद रितेश को रायपुर से गिरफ्तार किया गया। वहीं सुरेश फरार था।

एसआईटी (Mukesh Chandrakar murder case) का कहना है कि उन्होंने आरोपियों से 2 बार हत्या का सीन रिक्रिएट करवाया है। अन्य तथ्य भी जुटाए जा रहे हैं। मामले में 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है। इस महीने के अंत तक चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी जाएगी।

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सुरेश शुरु से ही बोलता रहा झूठ, हत्या वाली जगह पर पूछताछ

हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता सुरेश चंद्रकार खुद को इस मामले (Mukesh Chandrakar murder case) से अलग दिखाने की कोशिश में था। पुलिस जब मुकेश की खोजबीन करते हुए उसके बाड़े में पहुंची तो उन्होंने सुरेश को फोन लगाया। फोन पर सुरेश ने कहा कि वह भैरमगढ़ में है। पुलिस ने जब उससे कहा कि तत्काल यहां आ जाओ तो वह पहुंच गया। इसके बाद पुलिस ने उससे सभी 17 कमरे खुलवाए।

यहां कुछ नहीं मिला, क्योंकि आरोपियों ने हत्या (Mukesh Chandrakar murder case) के बाद पूरी साफ-सफाई कर दी थी। पुलिस ने जब उससे सेप्टिक टैंक के बारे में पूछा तो उसने कहा कि बाथरूम का रिनोवेशन हुआ है इसलिए ढलाई की गई है। वह पुलिस ने लगातार झूठ बोलता रहा। पुलिस ने जब रितेश के बारे में उससे पूछताछ की तो उसने कहा कि रितेश से उसकी 2 साल से बातचीत बंद है।

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मुकेश को मोबाइल तोडक़र नदी में फेंका

पूछताछ में आरोपियों ने बताया उन्होंने मुकेश का मोबाइल नेलसनार नदी में तोडक़र फेंक दिया है। एसआईटी का कहना है कि हम लगातार गोताखारों की मदद से मोबाइल की तलाश कर रहे हैं। वहीं आरोपियों (Mukesh Chandrakar murder case) ने भी अपने मोबाइल के डाटा डिलीट कर दिया है।

4-5 दिन पूर्व ही कर ली थी हत्या की प्लांनिंग

रितेश, दिनेश और महेंद्र रामटेके ने हत्या (Mukesh Chandrakar murder case) के 4 से 5 दिन पहले पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या करने की पूरी प्लानिंग की थी। इस बात का पता सुरेश को भी था, लेकिन वह पुलिस को गुमराह करता रहा। उसने हत्या से 4 दिन पहले ही बैंक से बड़ी रकम निकाली थी। इसके बाद वह पहले ही सुरेश हैदराबाद की ओर भागा था।

sankalp

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