0 राजमोहिनी देवी भवन के बगल में स्थित 4.22 एकड़ जमीन घोटाला का मामला, तत्कालीन नजूल अधिकारी, नजूल लिपिक, 2 आरआई सहित अन्य के खिलाफ दर्ज है अपराध
अंबिकापुर। शहर के राजमोहिनी देवी भवन के बगल में स्थित 4.22 एकड़ जमीन घोटाले के मामले में गांधीनगर पुलिस ने मुख्य आरोपी भू माफिया आकाश अग्रवाल को गिरफ्तार कर शनिवार को जेल भेज दिया है। पुलिस ने आरोपी के पास से मोबाइल भी जब्त किया है, जिसका उपयोग उसने जमीन की हेराफेरी करने में की थी। साथ ही उसने आरआई के पंचनामे में हस्ताक्षर किया था, जिसके आधार पर शासकीय नजूल भूमि को निजी मद में दर्ज कराया था। पुलिस ने उसके भाई शेखर अग्रवाल के नाम से की गई जमीन की रजिस्ट्री भी जब्त की है।
गौरतलब है कि शहर के राजमोहिनी देवी भवन के बगल में स्थित शासकीय नजूल भूमि खसरा नंबर 243/1 में से 4.22 एकड़ जमीन को फर्जी दस्तावेजों के सहारे भू माफियाओं द्वारा निजी मद में दर्ज करा ली गई थी।
इसके बाद इसकी प्लॉटिंग कर बेच दी गई थी। जमीन का नामांतरण बंशू लोहार पिता भुटकुल के नाम किया गया था। यह मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने इसकी जांच कराई।
जांच में मामला सही पाए जाने के बाद उन्होंने तत्कालीन नजूल अधिकारी नीलम टोप्पो, नजूल लिपिक अजय तिवारी, आरआई नारायण सिंह, राहुल सिंह, जमीन का फर्जी मालिक बंशू लोहार व उसके पुत्र राजकुमार के खिलाफ गांधीनगर थाने में धारा 420, 467, 468, 471 व 120 बी के तहत अपराध दर्ज किया गया था।
इस मामले में चारों शासकीय आरोपियों ने द्वारा लगाई गई अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी। तब से ये फरार भी हैं।
भूमाफिया आकाश अग्रवाल भी गिरफ्तार
इस मामले की सुनवाई कलेक्टर न्यायालय में हुई थी। इसमें किसी भी सुनवाई में बंशु लोहार उपस्थित नहीं हुआ था। इसके बाद कलेक्टर ने मामले में अहम फैसला सुनाया था। अप्रैल माह में बंशू लोहार अपने बेटे राजकुमार के साथ कोर्ट में उपस्थित हुआ। इसके बाद कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया था।
इस मामले में गांधीनगर पुलिस ने शनिवार को शहर के चांदनी चौक घुटरापारा निवासी भूमाफिया आकाश अग्रवाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने उसका मोबाइल व उसके भाई शेखर के नाम से की गई जमीन की रजिस्ट्री भी जब्त की है। आकाश ने फर्जी बंशु लोहार का बैंक में खाता खुलवाया था तथा आरआई के पंचनामे में हस्ताक्षर किया था।
कलेक्टर ने शून्य घोषित की थी रजिस्ट्री
कलेक्टर विलास भोस्कर ने 4.22 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री शून्य घोषित कर इसे शासकीय नजूल मद में दर्ज करने का आदेश दिया था। साथ ही उन्होंने उक्त जमीन पर जिला न्यायालय भवन बनाने का निर्णय दिया था।