Friday, September 20, 2024

कावड़ यात्रा : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दुकानदारों को नाम की तख्तियां लगाने मजबूर नहीं कर सकते…, तीन राज्यों को नोटिस

नई दिल्ली/लखनऊ . कावड़ यात्रा के दौरान रास्त में नासीर फल दुकान, शाहीद नाश्ता जैसी स्टिकर लगाकर मुस्लिम खाद्य सामाग्री विक्रताओं का सामाजिक बहिष्कार करने वाले मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि दुकानों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। अपनी पसंद की दुकान से खाद्य सामाग्री खरीदना व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, लेकिन दुकानदार या कर्मचारियों के नाम लिखकर इसे चस्पा करना सही नहीं है। कोर्ट ने मामले यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। एनजीओ एसोसिएशन ऑफ सिविल राइट्स की तरफ से इसको लेकर एक याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने इस मामले में 26 जुलाई तक जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खाद्य विक्रेताओं को उनके नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यात्रा मार्ग की दुकानों व ढाबों पर नाम लिखने के आदेश से अल्पसंख्यकों की पहचान उजागर करके उनका आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है. जो एक चिंताजनक स्थिति है। सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि हिंदु भी बहुत से शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट चलाते हैं। इनमें मुस्लिम कर्मचारी भी कम करते हैं। क्या ये कहा जा सकता है कि मैं वहां खाना नहीं खाऊंगा, क्योंकि खाना मुसलमानों या दलित बनाकर परोस रहे हैं।

विशेष समुदाय बनेंगे निशाना

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या ये एक प्रेस स्टेटमेंट था या फिर औपचारिक आदेश? इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये पहले प्रेस स्टेटमेंट था, लेकिन जब इस पर आक्रोश जाहिर होने लगा तो कहा गया कि ये स्वैच्छिक है, सख्ती से पालन कराया जा रहा है। सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा दशकों से सावन में होती आ रही है। इसमें सभी धर्मों के लोग मदद करते हैं। अब उन्हें इससे बाहर किया जा रह है।

इस जगह से हुई थी मामले की शुरुआत

कांवड़ यात्रियों के रास्ते में पडऩे वाले ढाबों, दुकानों पर नाम लिखने की आदेश की शुरुआत मुजफ्फर नगर से हुई थी। यहां के एसएसपी अभिषेक सिंह ने होटल ढाबों, यहां तक कि फल बेचने वाले ठेलों पर भी अपना नाम लिखने के आदेश जारी किए थे। जिससे कांवड़ यात्री अपनी पसंद की दुकान से सामान खरीदें। इसी के बाद से थोड़ा विवाद शुरू हुआ, लेकिन जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे यूपी में इसे लागू किया तो व्यापक विरोध शुरू हुआ। विपक्षी पार्टियों कांग्रेस, सपा, बसपा के अलावा बीजेपी की सहयोगी पार्टियों रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी और जेडीयू ने भी इस सवाल उठा दिए थे। यूपी से शुरू हुए इस आदेश को उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार ने भी लागू कर दिया था।

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