Journalist Mukesh Chandrakar murder: बीजापुर के पत्रकार की हत्या के आरोपी ठेकेदार व उसके साथियों को फांसी की सजा देने समेत अन्य मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन
अंबिकापुर। बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्रकार की जघन्य हत्याकांड को लेकर पूरे प्रदेश भर के पत्रकारों में रोष है। बीजापुर में जहां पत्रकारों ने चक्काजाम किया, वहीं राजधानी रायपुर में भी रैली निकालकर प्रदर्शन (Journalist Mukesh Chandrakar murder) किया गया। इसी कड़ी में सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में भी पत्रकारों ने घटना पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने पत्रकार के हत्यारे ठेकेदार व उसके साथियों को फांसी देने, उसकी संपत्तियों को अटैच करने, उसके सारे ठेके रद्द करने, उसकी अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने सहित अन्य मांगों को लेकर रैली निकाली। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल व सीएम के नाम ज्ञापन अंबिकापुर तहसीलदार को सौंपा।
सरगुजा प्रेस क्लब के बैनर तले अंबिकापुर के पत्रकारों ने दोपहर ढाई बजे गांधी चौक से रैली निकाली। रैली घड़ी चौक होते हुए कलेक्टोरेट पहुंची, यहां तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। पत्रकार मुकेश चंद्रकार हत्याकांड (Journalist Mukesh Chandrakar murder) को लेकर सरगुजा के पत्रकारों ने दुख व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि यह पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है, लेकिन चौथे स्तंभ को कुचलने के जिस तरह से प्रयास किए जा रहे हैं, उसे सभ्य समाज में कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। पत्रकार (Journalist Mukesh Chandrakar murder) समाज का आइना होता है। वह अपने आस-पास हो रही घटनाएं दिखाने के अलावा भ्रष्टाचार को उजागर करता है।
भ्रष्टाचार उजागर करने वाली खबरें अपनी जान जोखिम में डालकर प्रशासन के सामने लाता है। इस मामले में भी यही हुआ, मुकेश चंद्राकर ने 120 करोड़ के रोड में भ्रष्टाचार का खुलासा किया तो उसकी जघन्य हत्या कर उसे सैप्टिक टैंक में फेंक कर दिया गया।
Journalist Mukesh Chandrakar murder: पत्रकारों की सुरक्षा पर उठाए सवाल
सरगुजा के पत्रकारों ने शासन-प्रशासन के सामने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल (Journalist Mukesh Chandrakar murder) उठाए हैं। उनका कहना है कि क्या पत्रकार सिर्फ शासन, प्रशासन व ठेकेदारों का महिमा मंडन छापेï? क्या वह सच्चाई दिखाना बंद कर दे? यदि वह भ्रष्टाचार से संबंधित खबरें लिखता है या दिखाता है तो उसकी जान पर बन आती है। आज पत्रकार कहां सुरक्षित है? उसे हर पल अपनी जान का खतरा बना रहता है।
पत्रकार सुरक्षा कानून की उठी मांग
पत्रकार मुकेश की हत्याकांड (Journalist Mukesh Chandrakar murder) के बाद फिर से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग उठने लगी है। पिछली कांग्रेस सरकार ने पत्रकार सुरक्षा कानून लाया, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहना सकी। सरकार भी बदल गई, लेकिन शासन में बैठे लोग पत्रकार सुरक्षा कानून की बात तक नहीं कर रहे हैं। पत्रकारों ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा की दृष्टि से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है।
प्रदर्शन में ये पत्रकार रहे उपस्थित
रैली में दीपक सराठे, रोमी सिद्दीकी, अनंग पाल दीक्षित, प्रणय राज सिंह राणा, अभिषेक सोनी, असीम सेन गुप्ता, रामप्रवेश विश्वकर्मा, रामकुमार यादव, दिलीप जायसवाल, शेखर गुप्ता, सुमित सिंह, सुशील बखला, आकाश प्रधान, मनीषा सिन्हा, माही सिंह, संजय रजक, दीपक गुप्ता, दिनेश गुप्ता समेत काफी संख्या में पत्रकार शामिल रहे।