0 वर्ष 2012 में तत्कालीन कुलपति ने विवि के रिटायर्ड प्रोफेसर आईएस चंद्राकर को दी थी नियुक्ति, नए कुलपति ने पद से हटाने के जारी किए थे आदेश, इस आदेश के विरुद्ध चंद्राकर ने हाईकोर्ट में दाखिल की थी याचिका
बिलासपुर। Highcourt order: वर्ष 2012 में संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अंबिकापुर (तब सरगुजा यूनिवर्सिटी) के तत्कालीन कुलपति डॉक्टर सुनील कुमार वर्मा ने अपने विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर विश्वविद्यालय से ही रिटायर्ड एक प्रोफेसर को नियुक्ति दी थी। उनके ट्रांसफर के बाद कुलसचिव आरडी शर्मा ने रिटायर्ड प्रोफेसर को पद से हटाने का आदेश जारी किया था। इसके विरुद्ध रिटायर्ड प्रोफेसर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस नियुक्ति को हाईकोर्ट ने भी गलत माना और याचिका को खारिज कर दिया है।
संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अंबिकापुर के तत्कालीन कुलपति डॉ सुनील कुमार वर्मा ने वर्ष 2012 में रिटायर्ड प्रोफेसर आईएस चंद्राकर को यूनिवर्सिटी में नियुक्ति प्रदान की थी।
कुलपति ने अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करते हुए यह नियुक्ति दी थी। उनका कार्यकाल जब समाप्त हुआ तो नए कुलपति ने कार्यभार लिया, तब उनके संज्ञान में यह बात आई कि नियमों का दुरुपयोग कर रिटायर्ड प्रोफेसर को नियुक्ति दी गई है।
इसके बाद तत्कालीन कुलसचिव आरडी शर्मा ने रिटायर्ड प्रोफेसर आईएस चंद्राकर को पद से हटाने का आदेश जारी किया। प्रोफेसर ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अंबिकापुर का पक्ष एडवोकेट नीरज चौबे ने प्रस्तुत किया था।
जस्टिस भादुड़ी ने सुनाया अहम फैसला
इस मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने माना कि वैधानिक प्राधिकारी विधि के अंतर्गत मिली सीमा से बढ़कर कार्य नहीं कर सकते। इसके बाद उन्होंने प्रोफेसर चंद्राकर की याचिका खारिज कर दी।