Fake Naxalite पुलिस ने नक्सली आत्मसमर्पण मामले में तीनों से कड़ाई से पूछताछ की और उनके परिजनों से भी जानकारी ली, तब पता चला कि कोई नक्सली नहीं है।
बालोद। नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर मिलने वाले पुनर्वास योजना का लाभ लेने फर्जी नक्सली बनकर आया एक व्यक्ति पकड़ा गया। बाद में पुलिस ने उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया। उनकी योजना के तहत मिलने वाली राशि को आपस में बांटने और सरकारी नौकरी हासिल करने की थी।
Fake Naxalite ऐसे हुआ पूरे मामले का खुलासा
Fake Naxalite पुलिस के मुताबिक बीजापुर निवासी बबलू उर्फ मधु नक्सली बनकर आत्मसमर्पण करने आया था। साथ ही बीजापुर निवासी सुदेश और ओमप्रकाश नेताम निवासी मानपुर उसके परिजन बनकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे थे। पुलिस ने नक्सली आत्मसमर्पण मामले में तीनों से कड़ाई से पूछताछ की और उनके परिजनों से भी जानकारी ली, तब पता चला कि कोई नक्सली नहीं है।
रोजगार की तलाश में बने फर्जी नक्सली
पुलिस पूछताछ में तीनों ने बताया कि उसे रोजगार की तलाश है रोजगार नहीं मिल रहा था। Fake Naxalite एक नक्सली किताब हाथ लगी, जिसमें नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर शासन की योजना के तहत मिलने वाली सरकारी नौकरी व नगद राशि पाने नक्सली बनकर आत्मसमर्पण करने पहुंचे थे। पुलिस ने धारा 319(2), 61(2) के तहत न्यायिक रिमांड पर उन्हें जेल भेजा दिया।
इस तरह हुआ फर्जी नक्सली की पुष्टि
एसडीओपी ने बताया कि Fake Naxalite नक्सली आत्मसमर्पण करने के कुछ नियम है, जिसके तहत पूछताछ की गई। नक्सली बने बब्लू ने कहा कि उसे दो साल हुआ है। मानपुर मोहला कमेटी में नक्सली के रूप में भर्ती हुआ। जब उससे पूछा गया कि राइफल कब से पकड़ी।
उसने बताया कि नक्सली में भर्ती होने के बाद, जबकि नक्सली तत्काल राइफल नहीं देते। उनके परिजनों से पूछताछ की, तब पता चला कि लोग गांव में ही रहते हैं। मानपुर मोहला पुलिस ने भी बब्लू के नक्सली होने की जानकारी को नकारा। फिर कड़ाई से पूछताछ में पूरी कहानी सामने आ गई।