Friday, November 22, 2024

कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री में क्या अंतर होता है? आप भी जान लें ये बात…

0 लोकसभा सीट के 15 प्रतिशत सांसद को ही बनाया जा सकता है मंत्री, पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में 71 सांसदों ने भी ली है मंत्री पद की शपथ

18वीं लोकसभा का चुनाव खत्म हो गया और नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। 9 जून को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। पीएम मोदी के साथ ही 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इसमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व राज्य मंत्री शामिल हैं। क्या आप जानते हैं कि कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व राज्य मंत्री में क्या अंतर होता है। आज हम आपको ये बताएंगे। इसके लिए आप पहले पूरी खबर पढ़ें-

हम आपको बता दें कि मोदी 3.0 में बना मंत्रिमंडल अब तक मोदी सरकार का सबसे बड़ा मंत्रिमंडल है। 2014 में मोदी कैबिनेट में 46 सांसद मंत्री बने थे। 2019 में 59 सांसद मंत्री बने, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 71 तक पहुंच चुका है। संविधान में 81 मंत्रियों की सीमा तय है।

ऐसे में मोदी सरकार में 9 मंत्री और बन सकते हैं। संविधान के 91वें संशोधन के अनुसार लोकसभा के कुल सदस्यों में से 15 प्रतिशत को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं, इसलिए कैबिनेट में 81 मंत्री ही हो सकते हैं।

ऐसे होता है मंत्रिमंडल का गठन

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति मंत्रिमंडल का गठन करते हैं। मंत्रिमंडल में 3 तरह के मंत्री होते हैं, जिनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री होता है।

मंत्रिमंडल में सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री होता है। उसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और फिर राज्य मंत्री होता है। लेकिन कुछ लोग इन मंत्रियों में फर्क नहीं कर पाते और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री को भी कैबिनेट मंत्री समझ लेते है अगर आपको भी ये बात नहीं समझ में आती की इन तीनों में क्या फर्क होता है तो इस आर्टिकल में आपकी परेशानी दूर हो जाएगी।

इसके साथ ही आपको ये भी पता चल जाएगा कि जिन्हें भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है, उन्हें बाकी सांसदों की तुलना में हर महीने अलग से भत्ता भी मिलता है।

कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री में अंतर

कैबिनेट मंत्री-

कैबिनेट मंत्री सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। इन्हें जो भी मंत्रालय दिया जाता है, उसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी ही होती है। कैबिनेट मंत्री के पास एक से ज्यादा मंत्रालय भी हो सकता हैं। मंत्रिमंडल की बैठक में कैबिनेट मंत्री का शामिल होना जरूरी होता है क्योंकि सरकार अपने सभी फैसले कैबिनेट बैठक में ही लेती है। इसी दौरान मंत्री अपने विभाग की रिपोर्ट और सुझाव प्रधानमंत्री को सौंपते हैं।

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

कैबिनेट मंत्री के बाद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री होते हैं। इनकी भी सीधी रिपोर्टिंग प्रधानमंत्री के पास ही होती है। इनके पास अपना मंत्रालय होता है। इनके ऊपर कोई कैबिनेट मंत्री नहीं होता। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री कैबिनेट की बैठक में शामिल होते है।

राज्य मंत्री

कैबिनेट मंत्री की मदद के लिए राज्य मंत्री बनाए जाते हैं। इनकी रिपोर्टिंग कैबिनेट मंत्री को होती है। एक मंत्रालय में एक से ज्यादा भी राज्य मंत्री बनाए जा सकते हैं। कैबिनेट मंत्री की गैरमौजूदगी में मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी राज्य मंत्री की होती है। राज्य मंत्री कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते।

sankalp
Aadhunik

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