भिलाई . CSVTU छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का बड़ा खामियाजा विवि को भुगतान पड़ गया। आयकर विभाग का 12ए व 10सी सर्टिफिकेट नहीं लेने की वजह से सीएसवीटीयू को 8 करोड़ रुपए की चपत लग गई है। अब विवि इस राशि को वापस लेने की लिए जद्दोजहर कर रहा है। हाल ही में विवि CSVTU ने आयकर विभाग के सामने अपना पक्ष रखते हुए बताया है कि शासकीय विवि होने के नाते विभाग यह राशि वापस करें ताकि इसका उपयोग विद्यार्थियों के हित में किया जा सके। इस संबंध में विवि ने आयकर विभाग मेें अपील दायर की है।
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राशि लौटाने नियम नहीं
CSVTU फिलहाल, आयकर की 8 करोड़ रुपए की राशि वापस करने के लिए आयकर विभाग से कोई भी अ‘छे संकेत नहीं मिल है। इस संबंध में वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट मानते हैं कि राशि वापस हासिल करना तेढ़ी खीर है, क्योंकि आयकर के वापस इसका कोई नियम ही नहीं, जिसमें राशि लौटाई जा सके।
समझिए क्या है मामला
तकनीकी विवि CSVTU सीएसवीटीयू को स्थापना के साथ ही आयकर विभाग से कर में छूट के लिए 10(23सी) और 12ए प्रमाणपत्र लेना जरूरी था, लेकिन अधिकारियों ने इसे अनदेखा कर दिया। संस्थान भले ही शासकीय है, लेकिन आयकर विभाग ने प्रमाण पत्र नहीं होने की स्थिति में सीएसवीटीयू को प्रॉफिटेबल संस्था समझकर 8 करोड़ रुपए की रिकवरी निकाल दी। CSVTU विवि ने यह राशि आयकर विभाग को सौंप भी दी। इसके बाद विवि को छूट प्रमाण पत्र लेने की याद आई।
CSVTU क्या है नियम
CSVTU सीए सुरेश कोठारी ने आयकर के नियम साझा करते बताया कि नो प्रॉफिट नो लॉस संस्थान के लिए आयकर के नियम है जिसके तहत उन्हें कर में छूूट के लिए पंजीयन करना होता है। शर्त यह होती है कि संस्थान को होने वाली आय का 85 फीसद हिस्सा खर्च होना जरूरी है। CSVTU इसके साथ ही विवि को भी रिटर्न समय से दाखिल करना होगा। आयकर विभाग का नियम है कि एक करोड़ से नीचे के फंड पर कोई टैक्स नहीं है, लेकिन इससे ऊपर आय होने पर दोनों सर्टिफिकेट जरूरी होंगे, इसके बाद ही छूट ली जा सकेगी। ऐसा नहीं करने पर आयकर विभाग संस्था का खाता भी सीज कर सकता है।
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आयकर विभाग के जरूरी सर्टिफिकेट नहीं होने से 8 करोड़ की राशि कर के रूप में चली गई। जबकि नो प्रॉफिट संस्थान विवि पहले भी था। हमने विभाग से अपील की है। जरूरी सर्टिफिकेट भी हासिल कर लिए गए हैं।
अंकित अरोरा, कुलसचिव, सीएसवीटीयू