Friday, December 27, 2024

Christmas 2024: या कभी सोचा है क्यों 25 दिसंबर को ही मनाया जाता है क्रिसमस? जानिए परंपरा और मान्यताएं…

ख़बरनवीस डेस्क। Christmas Day प्रभु ईसा मसीह (Jesus Christ) के जन्मोत्सव को मनाने का अवसर है क्रिसमस। यह उत्सव लोगों के जीवन में शांति, सद्भावना और करुणा का संचार करता है। Christmas इस दिन को पूरी दुनिया में ईसा मसीह के जन्म की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। यह हर साल 25 दिसंबर को होता है। इस दिन लोग चर्च जाते हैं जहां भक्तों के लिए मसीह के अच्छे काम को याद करने के लिए कई कार्यक्रमों की व्यवस्था की जाती है।

भावनाएं होती है मजबूत

लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। प्रभु यीशु मसीह शांति, सद्भाव और आशा के प्रतीक थे। Christmas क्रिसमस मानवीय मूल्‍यों का त्‍यौहार है। यह त्‍यौहार आपसी प्‍यार और जीवन को एक त्‍यौहार में बदलने और उसे साझा करने की भावना को मजबूत बनाता है। क्रिसमस का यह त्‍यौहार देश और पूरी दुनिया में भाईचारे और मानवता को बढ़ावा देने की भावना को प्रेरित करता है।

क्या है Christmas का इतिहास?

क्रिसमस Christmas के दिन गिरजाघरों में लोग एकत्रित होकर प्रभु यीशु के दर्शन करते हैं और यीशु की जन्म गाथा की सुंदर झांकियों का आनंद लेते हैं व प्रभु की आराधना करते है।  क्रिसमस के इतिहास की बात करें तो हमेशा से ही इतिहासकारों में इसको लेकर मतभेद रहा है। कई जानकारों के अनुसार यह त्योहार प्रभु यीशु के जन्म के बाद से मनाया जाने लगा।

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तो वहीं कईयों का मानना है कि ये उत्सव यीशु के जन्म के पूर्व से ही मनाया जा रहा है। Christmas कुछ इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि क्रिसमस पर्व रोमन त्योहार सैंचुनेलिया का नया रूप है। कहा जाता है कि जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो उसके बाद से लोगों ने यीशु को ही अपना ईश्वर मानकर सैंचुनेलिया पर्व को ही क्रिसमस Christmas  डे के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

यह भी है मान्यता

वहीं एक और मान्यता के अनुसार पहले धर्म के अधिकारी 25 दिसंबर के दिन को Christmas क्रिसमस डे मनाने के लिए तैयार नहीं थे। क्योंकि ये रोमन त्योहार का दिन था, जिसमें लोग सूर्य देव की पूजा करते थे। उनका मानना था कि इसी दिन सूर्य का जन्म हुआ था। लेकिन जब ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार होने लगा तो ऐसा माना गया कि प्रभु यीश ही सूर्य देव के अवतार हैं और Christmas फिर इस तरह से यीशू की पूजा होने लगी।

sankalp
Aadhunik

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