Thursday, November 21, 2024

छत्तीसगढ़ में एक मंदिर ऐसा भी जहां होती है कुत्ते की पूजा, हर मनोकामना होती है पूरी, वफादार कुत्ते और भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर

0 कुत्ते की वफादारी से प्रभावित होकर नागवंशियों ने बनवाया था कुकुरदेव मंदिर, मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है भगवान शिव और वफादार कुत्ते की मूर्ति

न्यूज डेस्क। छत्तीसगढ़ के बालोद जिला स्थित खपरी गांव में कुकुरदेव मंदिर स्थित है। यहां कुत्ते की पूजा की जाती है। यह मंदिर वफादार कुत्ते व भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव और वफादार कुत्ते की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण फणी नागवंशियों द्वारा कराया गया था। यहां लोग मनोकामना दीप प्रज्ज्वलित कर पूजा करते हैं। इस दीप को वफादारी की ज्योत भी मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। यही वजह है कि पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी यहां मत्था टेक चुके हैं।

बालोद से 6 किलोमीटर दूर ग्राम खपरी में कुकुर देव मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 14वीं -15वीं शताब्दी में नागवंशी शासकों द्वारा किया गया था। यह मंदिर राज्य भर में प्रसिद्ध है।

इस मंदिर को देखने व समझने दूर दराज के लोग भी आ चुके हैं। इस मंदिर को वफादारी के लिए जाना जाता है। मंदिर के बाहर ही वफादार कुत्ते की समाधि बनाई गई है।

ऐसी है वफादार कुत्ते की कहानी

खपरी गांव में बंजारों का निवास था। एक बंजारे कुत्ता पाल रखा था। कुत्ता काफी वफादार था। कालांतर में जब क्षेत्र में अकाल पड़ा तो कुत्ते के मालिक ने उसे मालगुजार के पास गिरवी रख दिया था।

एक दिन मालगुजार के घर चोरी हो गई तो कुत्ता मालगुजार को उसे स्थल तक ले गया, जहां चोरों ने चोरी की गई सामग्री छिपा रखी थी। कुत्ते के इस कर्तव्यनिष्ठ व्यवहार से प्रभावित होकर मालगुजार ने उसके गले में पत्र बांधकर उसे उसके स्वामी के पास भेज दिया था।

स्वामी बंजारे ने कुत्ते को मार डाला

जब कुत्ता घर लौट आया तो बंजारे ने यह सोचकर उस पर प्रहार कर दिया कि वह मालगुजार के पास से भाग कर आ गया है। इससे कुत्ते की मौत हो गई। बाद में जब बंजारे ने गले में बंधे पत्र को खोलकर पढ़ा तो उसे अपनी गलती का अहसास हुआ।

मंदिर स्थल पर बनाई गई कुत्ते की समाधि

कुत्ते को मार डालने की खबर जब मालगुजार को पता चली तो वह भी दुखी हुआ। बाद में वफादार कुत्ते की याद में फणि नागवंशी राजाओं ने कुकुरदेव मंदिर का निर्माण कराया।

sankalp
Aadhunik

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