Bilaspur DJ Sound Tragedy: बिलासपुर जिले में रविवार रात एक बड़ा हादसा हो गया। यहां तेज आवाज और भारी बेस में डीजे बजने की वजह से एक घर का छज्जा अचानक भरभराकर गिर गया। इससे 11 साल के बच्चे की मौत हो गई…
बिलासपुर। Bilaspur DJ Sound Tragedy: मस्तूरी थाना क्षेत्र के मल्हार स्थित केंवटपारा में रविवार रात एक भयावह हादसा हो गया। यहां तेज आवाज और भारी बेस में डीजे बजने की वजह से एक घर का छज्जा अचानक भरभराकर गिर गया। हादसे में 4 बच्चे सहित 5 लोग घायल हो गए। वहीं तीन लोगों की हालत गंभीर है। बताया जा रहा है कि घायल में से एक 11 वर्षीय बच्चे की आज मौत हो गई। फिलहाल पुलिस मामले में आगे की कार्रवाई में जुट गई है।
जानकारी के अनुसार, पूरी घटना मस्तूरी थाना क्षेत्र के मल्हार के केंवटपारा का है। रविवार रात करीब 8:30 बजे हिंदू नव वर्ष की शोभायात्रा केंवटपारा पहुंची थी। इस दौरान डीजे की तेज आवाज और धमाकेदार बेस से आसपास के मकानों में कंपन होने लगा। इसी दौरान टुकेश केंवट के घर का पुराना और कमजोर छज्जा अचानक भरभराकर गिर गया। उस वक्त वहां कई लोग खड़े थे, जो मलबे की चपेट में आ गए।
इलाज के दौरान एक की मौत
इस हादसे में घायल 11 वर्षीय बच्चे की आज मौत हो गई। मृतक का नाम प्रशांत केवट था। प्रशांत समेत पांचों घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसने दम तोड़ दिया। वहीं 3 बच्चों समेत 4 की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मर्ग कायम कर शव को पीएम के लिए भेज दिया है और डीजे संचालक की तलाश में जुटी हुई है।
Bilaspur DJ Sound Tragedy: घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया
घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने सभी घायलों को तुरंत नजदीकी (Bilaspur DJ Sound Tragedy) स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बिलासपुर रेफर किया गया। घायलों में चंद्रशेखर केंवट (25), दीपक केंवट (15), दीपेश केंवट (14) और हेमंत कैवर्त (13) शामिल हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मकान की संरचना पहले से ही कमजोर थी, जिसे लापरवाही से नजरअंदाज किया गया।
हाईकोर्ट ने जताई थी नाराजगी
डीजे की तेज आवाज पर हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद राज्य सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की थी। आवास एवं पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव देवेन्द्र सिंह भारद्वाज आदेश के मुताबिक सभी कलेक्टर और एसपी को साउंड पॉल्यूशन कंट्रोल करने कहा गया है। उन्हें ध्वनि प्रदूषण के मामले में शिकायत से पहले संज्ञान लेकर कार्रवाई करने और राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों को भी शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा। साथ ही अधिकारियों को शिकायत का इंतजार नहीं करते हुए खुद जाकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है।
नहीं उठ रहे जिम्मेदारों के कदम…
आदेश का पालन न करते हुए तेज आवाज में डीजे बजाए जा रहा है, जिससे अप्रिय हादसे हो रहा है। हादसों के बाद भी न प्रशासन ने सबक लिया न पुलिस ने। अभी भी जुलूस और विसर्जन के लिए डीजे को मंजूरी दी जा रही है।
समझाइश के बाद सख्ती
हाईकोर्ट ने कहा है कि जब भी शादियां, जन्मदिन, धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों में निर्धारित गाइड लाइन से अधिक ध्वनि प्रदूषण होने पर अधिकारी जाएं तो लोगों की भावना की कद्र करते हुए नम्रता के साथ आदेश का पालन करने को कहें। विरोध करने पर उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर सामानों को जब्त कर कोर्ट में कार्रवाई की जाए।
शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और कोर्ट के आसपास प्रतिबंध
राज्य सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन में कहा गया है कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कोर्ट, आफिस से 100 मीटर एरियल डिस्टेंस पर लाउडस्पीकर बजने पर प्रतिबंधित है। कलेक्टर, पुलिस और प्राधिकृत अधिकारी को ध्वनि प्रदूषण यंत्रों को जब्त करेंगे।
कान के लिए 70 डेसिबल सुरक्षित, ज्यादा से खतरा
कान के लिए 70 डेसिबल या इससे कम की ध्वनि सुरक्षित है। दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत की ध्वनि 60 डेसिबल के आसपास होती है। 85 डेसिबल या ज्यादा की आवाज सुनने की क्षमता पर असर डालता है। वहीं 120 डेसिबल की आवाज़ से असुविधा हो सकती है। 140 डेसिबल से कान में दर्द हो सकता है। 120 डेसिबल की आवाज व्यक्ति या बच्चों को बहरा कर सकता है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार 24 घंटे में शोर का स्तर 70 डेसिबल से नीचे रहना चाहिए।