Thursday, November 14, 2024

BALCO: बालको ने प्रगति के साथ समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी रखा संजोए, 1971 में सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का हुआ था गठन

BALCO: पिछले 54 वर्षों से हर नवरात्रि पर समिति द्वारा लगाया जाता है दुर्गा पंडाल, पांच साल में ही समिति के सदस्यों की संख्या बढक़र हो गई थी 1 हजार पार

BALCO: भारत को ‘उत्सव का देश’ कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर विभिन्न सांस्कृति एवं धार्मिक पर्व मनाए जाते हैं। उत्सवधर्मी संस्कृति तथा सामाजिक समरसता को बनाए रखते हुए बालको (BALCO) ने सभी सम्प्रदाय को बराबर आदर सम्मान दिया है। यही वजह है कि छोटे से टाउनशिप के इर्द-गिर्द सभी धर्मों के पूजा स्थल हैं। इन्हीं में से एक, मां दुर्गा के भव्य पंडाल का आयोजन। 1971 से बालको कर्मचारियों द्वारा गठित कमेटी ‘बालको सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति’ द्वारा किया जा रहा है।

54 वर्षों से प्रत्येक नवरात्रि पर कमेटी द्वारा दुर्गा पंडाल लगाया जा जाता है। पंडाल स्थल शुरूआत के कुछ ही वर्षों में सेक्टर-5 से सेक्टर-3 स्थानांतरित कर दिया गया। चंद लोगों की कमेटी की संख्या 1976 तक 1000 हो गई थी।

पंरपरानुसार कंपनी के तात्कालिक सीईओ एवं निदेशक मां दुर्गा के पंडाल की पूजा कर, बालको (BALCO) की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करते हैं। अस्सी के दशक में काली माता मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। बंगाली समुदाय द्वारा काली माता की पूजा काली चौदस के दिन धूमधाम किये जाने की पंरपरा है।

BALCO
Bhajan kirtan in BALCO

रिटायर्ड संजीव चक्रवर्ती का है ये कहना

33 सालों तक कंपनी (BALCO) में सेवा देने के बाद कार्यमुक्त संजीव चक्रवर्ती ने अपना अनुभवा साझा करते हुए कहा कि बालको में जब लोग आए तो साथ में अपने क्षेत्रों की संस्कृति, भाषा और बोली भी लेकर आएं। कंपनी हमेशा से सांप्रदायिक सौहाद्र्र की भावना को प्राथमिकता देता आया है।

मुझे बताते हुए खुशी है कि कंपनी में विभिन्न सांस्कृति कार्यक्रम होते थे जो बालको क्लब, बालको लेडिज क्लब, अग्रदूत कल्चर एसोसिएशन ऑफ बालको, बानी कुंज ए लिटररी कल्चर, यूथ कल्चर तथा महामूर्ख संघ आदि एसोसिएशन द्वारा आयोजित किया जाता था।

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BALCO: यह मेरे लिए मिनी इंडिया जैसा

संजीव चक्रवर्ती ने कहा कि विभिन्न मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की वजह से कभी भी घर से दूर होने का अहसास नहीं हुआ। यह (BALCO) मेरे लिए मिनी इंडिया जैसा है, जहां हम सभी 1971 से मिलकर-जुलकर दिवाली, होली और ईद आदि त्यौहार मनाते आ रहे हैं। कंपनी के प्रगति के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर में बहुत बदलाव हुआ लेकिन लोगों के बीच परस्पर भाईचारा की भावना और प्रगाढ़ हुई है। कुल मिलाकर कहें, अब बागडोर एक ऐसी पीढ़ी के हाथ में है जिनके पास अपने ‘पूर्वजों’ के समृद्ध अनुभव का खजाना है।

BALCO
Maa Durga Idol

देश की औद्योगिक यात्रा की इबारत लिखने का गवाह है बालको

बालको, भारत (BALCO) के सांस्कृतिक वैभव को संजोने के साथ ही देश के आद्यौगिक यात्रा की बेहतरीन इबारत लिखे जाने का गवाह है। यहां के मेहनतकश कर्मचारियों ने हर समय कंपनी को प्रगति पथ पर निरंतर आगे बढ़ाने का कार्य किया है। 27 नवंबर, 1965 की स्थापना के साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र में एल्यूमिनियम उत्पादन करने वाली पहली कंपनी बनी। 1966 में कोरबा साइट के ऑफिस की स्थापना के बाद 1969 से सिविल कार्य आरंभ हो गया।

1973 में एलुमिना प्लांट (BALCO) की शुरूआत हुई और पहली बार 1974 में सोवियत संघ (रूस) को 8000 टन एलुमिना निर्यात कर कंपनी ने बड़ी उपलब्धि हासिल की। एक लाख टन वार्षिक एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता के स्मेल्टर को चार चरणों में स्थापित किया गया। सभी चरण में 25 हजार टन वार्षिक क्षमता के स्मेल्टर का निर्माण हुआ। पहले एवं दूसरे चरण के स्मेल्टर को उत्पादन के लिए 1975 तथा 1977 में मंजूरी मिली तथा तीसरे एवं चौथे चरण का निर्माण कार्य 1977 एवं 1978 तक मुकम्मल हो गया था।

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