हम आहत हो सकते हैं, पर हार नही सकते।" 26/11 के बाद, रतन टाटा ने Taj Public Service Welfare Trust' बनाया ताकि पीड़ितों और उनके परिवारों की मदद की जा सके।
उन्होंने खुद पीड़ित कर्मचारियों के परिवारों से मुलाकात की और उन्हें Emotional Support देने के अलावा उनके मेडिकल और एजुकेशन खर्चों का भी ध्यान रखा।
2003 में उन्होंने Middle Class भारतीयों के लिए एक सुरक्षित और किफायती कार का सपना देखा और Tata Nano निकाली, जो People's Car' बन गई।
2021 में रतन टाटा, 2 साल से बीमार अपने एक एम्प्लॉई से मिलने मुंबई से पुणे गए और साबित कर दिया कि उनके लिए हर कर्मचारी कितना ज़रूरी है।
उनकी Indica कार Tata Motors, भारत की पहली पूरी तरह स्वदेशी पैसेंजर कार थी; जिसने भारतीयों के अनुभव को आधुनिक और किफ़ायती बना दिया।
वह कुत्तों के प्रति अपने अपार प्रेम के लिए जाने जाते रहे। Bombay House में Tata Sons' का Global Headquarters इस बात का प्रमाण है, जहाँ हज़ारों बेसहारा कुत्तों की देखभाल की जाती है।
कोरोना महामारी के दौरान, उन्होंने देश की मदद के लिए 500 करोड़ रुपये डोनेट किए और Cornell University में भारतीय छात्रों के लिए $28 मिलियन का स्कॉलरपि फंड दिया।
वह पूरा जीवन Tata Group के मुनाफ़े का 65% हिस्सा स्वास्थ्य, शिक्षा, और Employee Welfare के लिए दान करते रहे।