Man buried in dung pit:अंधविश्वास के चक्कर में पडक़र युवक का जान जोखिम में डाला, जागरुक लोगों ने गोबर के गड्ढे से बाहर निकलवाकर पहुंचाया अस्पताल
अंबिकापुर। Man buried in dung pit: अंधविश्वास का कोई इलाज नहीं है। जो इसके चक्कर में पड़ गया वह, विज्ञान व डॉक्टर को भी नहीं मानता है। ऐसा ही एक मामला मैनपाट के सुपलगा गांव से सामने आया है। दरअसल मंगलवार की दोपहर एक युवक आकाशीय बिजली की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गया था। यह बात जब घरवालों को पता चली तो उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाने के बजाय बेहोशी की हालत में गोबर से भरे गड्ढे में गाड़ दिया। गांव के कुछ जागरुक लोगों को इसकी (Man buried in dung pit) भनक लगी तो उन्होंंने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। यहां उसका इलाज जारी है।
मैनपाट के ग्राम सुपलगा निवासी बनवारी मझवार नामक युवक मंगलवार की दोपहर आकाशीय बिजली की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गया था। इसके प्रभाव से वह बेहोश हो गया था। यह देख घरवाले अंधविश्वास (Man buried in dung pit) के फेर में पड़ गए। अस्पताल ले जाने की जगह वे पुरानी परंपरा के अनुसार उसे घर के पास ही रहे गोबर से भरे गड्ढे में गाड़ दिया।
सिर्फ उसका सिर ही उन्होंने बाहर रखा था। महिलाएं उसके शरीर पर गोबर का लेप लगाती दिखीं। उनका मानना था कि गोबर के लेप से बिजली का प्रभाव कम हो जाता है। उसे 1 घंटे से भी अधिक समय तक गोबर से भरे गड्ढे (Man buried in dung pit) में रखा गया।
जागरुक लोगों ने पहुंचाया अस्पताल
आकाशीय बिजली की चपेट में आकर युवक के झुलस जाने की खबर गांव में फैल गई। जब गांव के कुछ जागरुक युवाओं को गोबर में गाड़े (Man buried in dung pit) जाने का पता चला तो उन्होंने घरवालों को समझाइश दी। इसके बाद एंबुलेंस बुलाकर उसे कमलेश्वरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। यहां युवक का इलाज जारी है।
Man buried in dung pit: ये है मान्यता
आकाशीय बिजली की चपेट में आने से झुलसे व्यक्ति को लेकर पुरानी मान्यता चली आ रही है। इसके अनुसार यदि झुलसे हुए व्यक्ति के शरीर पर गोबर का लेप (Man buried in dung pit) लगा दिया जाए तो आकाशीय बिजली का प्रभाव काफी कम हो जाता है। मान्यता तो यह भी है कि आकाशीय बिजली की चपेट में आकर मृत व्यक्ति भी गोबर में गाडऩे से जिंदा हो उठता है।