Thursday, November 21, 2024

E-Ball: सीएम ने अंबिकापुर के वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत के ई-बॉल तकनीक को सराहा, डेनमार्क व जापान के जल विशेषज्ञ भी हुए प्रभावित

E-Ball: धमतरी में आयोजित जल-जगार महोत्सव में अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिक द्वारा बनाए गए जल शुद्धिकरण की जैविक तकनीक को मिली सराहना

अंबिकापुर। E-Ball: धमतरी में जल-जगार महोत्सव के दौरान आयोजित अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में बने जल शुद्धिकरण की जैविक तकनीक ‘ई-बाल’ (E-Ball) को सीएम विष्णु देव साय ने सराहा। उन्होंने जल शुद्धिकरण की इस अभिनव तकनीक को आज की आवश्यकता बताया। साथ विदेशी जल विशेषज्ञों को भी ये तकनीक खूब पसंद आई। उन्होंने इस तकनीक को बारीकी से समझा और इस पर काम करने में दिलचस्पी दिखाई। हम आपको बता दें कि ई-बॉल को अंबिकापुर में पदस्थ जैव-प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शर्मा ने बनाया है।

जल जगार महोत्सव में पानी शुद्धिकरण की इस तकनीक (E-Ball) का जीवंत प्रदर्शन महोत्सव स्थल पर किया गया। यहां मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने भी इस तकनीक को समझा और सराहा।

जल जगार महोत्सव में डेनमार्क के जल विशेषज्ञ मि. हेन्स जी. ऐगरोब, जापान टोक्यो मेट्रोपोलिटन गवर्नमेंट के डिप्टी डायरेक्टर मिस ओतसुजी मारिनो समेत पद्मश्री पोपट राव पवार, पद्मश्री श्यामसुंदर पालीवाल, पद्मश्री उमाशंकर पांडेय सहित देश के ख्यातिलब्ध जल संरक्षण के विशेषज्ञ शामिल हुए थे।

E-Ball
Dr. Prashant Sharma with Denmark water specialist Mr. Hence G Egrob

E-Ball: क्या है ई-बाल तकनीक

ई-बाल (E-Ball) बैक्टीरिया और फंगस का मिश्रण है, जिसे लाभदायक सूक्ष्मजीवों के द्वारा कैलिशयम कार्बोनेट के कैरियर के माध्यम से जैव-प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक डॉ प्रशान्त कुमार शर्मा ने 13 वर्षों के अनुसंधान के बाद बनाया है। ई-बाल 4.0 से 9.5 पीएच और 10 से 45 डिग्री तापमान पर सक्रिय होकर काम करता है।

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ऐसे करता है काम

ई-बाल (E-Ball) में मौजूद लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के प्रदूषित पानी में जाते ही वहां उपलब्ध ऑर्गेनिक अवशिष्ट से पोषण लेना चालू कर अपनी संख्या में तेजी से वृद्धि करते है तथा पानी को साफ करने लगते है। एक ई-बाल करीब 100 से 150 मीटर लंबी नाली को साफ कर देती है। औसतन एक एकड़ तालाब के जल सुधार के लिए 800 ई-बाल की आवश्यकता होती है।

E-Ball
CM and scientist in Jal Jagaar Mahotsava

जलीय जीवों पर कोई साइड इफेक्ट नहीं

खास बात यह है कि ई-बाल (E-Ball) के प्रयोग से पानी मे रह रहे जलीय जीवों पर इसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नही होता है। इसके प्रयोग से पानी के पीएच मान, टीडीएस और बीओडी स्तर में तेजी से सुधार होता है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ समेत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, झारखंड, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के कई तालाबों में इसका सफल प्रयोग चल रहा है।

sankalp
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