Monday, September 23, 2024

Bhupesh baghel:भूपेश बघेल ने आईपीएस अफसर पर लगाया साजिश का आरोप, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, जानिए किस चर्चित अधिकारी की हो रही है बात…

Bhupesh baghel कोयला परिवहन के कथित अपराध में मेरी (भूपेश बघेल) की संलिप्तता स्वीकार करें। और मुझे लाभार्थी बनाकर बयान दर्ज कराए।

रायपुर : पूर्व सीएम भूपेश बघेल Bhupesh baghel ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने खिलाफ लगातार साजिश रचने का आरोप लगाया है, और इसकी स्वतंत्र जांच के लिए निर्देशित करने का आग्रह किया है।

पूर्व सीएम Bhupesh baghel अपने पत्र में कहा कि उन्होंने 17 दिसंबर 2018 से 3 दिसंबर 2023 तक मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। इस अवधि के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी, निष्ठा, और गरिमा के साथ किया। साथ ही सर्वोच्च संवैधानिक मर्यादाओं को पूरा किया।

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Bhupesh बघेल ने कहा कि हाल में छत्तीसगढ़ में घटित एक घटना इस पत्र का तत्कालीक कारण बना है। पूर्व सीएम ने ईडी कोल परिवहन में कथित अवैध वसूली की जांच पिछले 4 साल से कर रही है। सत्ता परिवर्तन के बाद ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा एक प्रकरण दर्ज किया गया। ईडी की तरफ से गिरफ्तार विचाराधीन बंदियों को हिरासत में लेकर एसीबी- ईओडब्ल्यू ने नए प्रकरण में जेल में बंद कर रखा है।

लाभार्थी बनाकर बयान दर्ज कराए

उन्होंने बताया कि इन अभियुक्तों में से एक सूर्यकांत तिवारी नाम का व्यापारी है। जिसने जिला अदालत में आवेदन पेश किया है, और इस आवेदन के अनुसार 8 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजे ईओडब्ल्यू-एसीबी के निदेशक जेल पहुंचे, और सूर्यकांत तिवारी को बुलाकर अकेले में मुलाकात की। इस मुलाकात में एसीबी प्रमुख ने कहा कि कोयला परिवहन के कथित अपराध में मेरी (भूपेश बघेल) की संलिप्तता स्वीकार करें। और मुझे लाभार्थी बनाकर बयान दर्ज कराए।

Bhupesh baghel ने की न्यायिक जांच की मांग

तिवारी के अनुसार आईपीएस अफसर ने कहा कि वो ऐसा नहीं करते है, तो उन्हें अन्य प्रकरणों में भी आरोपी बना दिया जाएगा, और उनके सभी परिजनों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा। Bhupesh baghel ने महादेव एप से जुड़े मामलों का भी जिक्र किया।

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उन्होंने Bhupesh baghel  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से आग्रह किया कि केन्द्रीय एजेंसियों, और राज्य की से आग्रह किया कि केन्द्रीय एजेंसियों, और राज्य की एजेंसियों की भूमिका, और कामकाज की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की जाए। और इस जांच की निगरानी या तो कोई उच्च न्यायालय करे, या फिर सर्वाच्च न्यायालय की ओर से निगरानी आदेश जारी करे। इससे संविधान पर जनता का विश्वास बना रहेगा।

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