Friday, September 20, 2024

Students Election: 23 अगस्त 2017 को लगी छात्रसंघ चुनाव पर रोक, दो सरकारें बदली मगर नहीं खुला रास्ता, अभी मनोनयन पर भी सस्पैंस

Students Election chhattisgarh. राजनीति की पहली सीढ़ी छात्र राजनीति मानी जाती है। यहीं से युवा राजनीति में अपने भविष्य को तलाशना शुरू करते हैं। मगर, सरकारें युवाओं से इस सपने को साकार करने का मौका छीन रही हैं। पूर्व की भाजपा सरकार ने 2017 से छात्र संघ चुनाव पर रोक लगा दी, जो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी जारी रही। अब दोबारा से राज्य में BJP भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। ऐसे में युवाओं ने कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव की मांग तेज कर दी है।

हाल ही में सत्तारूढ़ पाटी का अनुशांगिक छात्र संगठन Students Election अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम ज्ञापन सौंपकर प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग की है, वहीं कांग्रेस का छात्र संगठन एनएसयूआई भी छात्रसंघ चुनाव के लिए मशक्कत कर रहा है। एनएसयूआई ने हाल ही में अपनी समन्वय की बैठक में प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव का एजेंडा रखा था। कॉलेजों में एडमिशन पूरे होने के साथ ही पढ़ाई शुरू हो चुकी है। ऐसे में अब छात्रसंघ को लेकर सुगबुगाहट का सिलसिला शुरू हो गया है।

Students Election
पहला छात्रसंघ चुनाव2003
आखिरी छात्रसंघ चुनाव 2017
Students Election

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Students Election उच्च शिक्षा ने जारी किया कैलेंडर

उच्च शिक्षा विभाग के एकेडमिक कैलेंडर में छात्रसंघ गठन Students Election के लिए 24 से 31 अगस्त तक का समय निर्धारित किया गया है। इसमें प्रत्यक्ष चुनाव या मनोनयन का जिक्र है। बहरहाल, राज्य शासन की ओर से अभी तक छात्रसंघ गठन big update को लेकर कोई निर्णय नहीं आया है। ऐसे में इस बार भी छात्रसंघ गठन को लेकर युवाओं की आस टूटती नजर आ रही है।

ऐसे में कैसे मिलेंगे प्रदेश को राजनीति के नए चेहरे

राज्य सरकार की छात्रसंघ चुनाव को लेकर चुप्पी के बीच बड़ा सवाल यह है कि प्रदेश की राजनीति को नए चेहरे कैसे मिलेंगे? मौजूदा राजनेता मान रहे हैं कि छात्र संघ चुनाव से नई पौधे तैयार होती है। चुनाव जरूरी है। उधर, प्रदेश में कई नाम हैं जिन्होंने छात्र राजनीति से शुरुआत की और देश-प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। यह सांसद, विधायक और मंत्री बने। कई नेताओं और छात्र नेताओं ने Students Election नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मौजूदा सांसद, विधायक, मंत्री खुद नहीं चाहते कि चुनाव हो। इससे उनको ही नुकसान है। क्योंकि छात्र नेता तैयार हुआ तो वह टिकट की दावेदारी करेगा। ऐसे में कुर्सी का संकट खड़ा हो जाएगा।

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Students Election छात्रसंघ चुनाव न होने से ये नुकसान

– छात्रों के मुद्दे उठाने वाला कोई नहीं है। आंदोलन करने वाला कोई नहीं है।

– राजनीति में नई पढ़ी-लिखी पीढ़ी नहीं आ पा रही, जिसकी आज सख्त जरूरत है।

– कॉलेजों और विश्वविद्यालय में छात्रों की जरूरत को समझने वाले नहीं है।

Students Election से राजनीति में ऊंचाई तक पहुंचे ये नेता

  • मोहम्मद अकबर- राज्य सरकार में वन, परिवहन मंत्री रहे।
  • प्रेमप्रकाश पांडेय – पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री, विधानसभा स्पीकर रहे।देवेंद्र यादव – वर्तमान में भिलाई नगर विधायक हैं।
  • रविंद्र चौबे – पूर्व सरकार में कृषि मंत्री, सरकार के प्रवक्ता रहे।बृजमोहन अग्रवाल- राज्य सरकार में मंत्री रहे। अभी सांसद हैं।
  • सरोज पांडेय- भाजपा से राज्यसभा सांसद रहीं।सुनील सोनी- भाजपा से लोकसभा सांसद रहे।
  • दीपक बैज- बस्तर से सांसद रहे।मनोज मंडावी – विधानसभा में उपाध्यक्ष रहे।
  • राजेश यादव – दुर्ग निगम में वर्तमान सभापति है।बृजमोहन सिंह – दुर्ग पूर्व साडा उपाध्यक्ष रहे।
  • वशिष्ठ नारायण मिश्रा – वर्तमान में पार्षद हैं।लक्ष्मीपति राजू – नगर निगम भिलाई में एमआईसी सदस्य।
  • अजय चंद्राकर – कुरुद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के वर्तमान विधायक हैं। विकास उपाध्याय – कांग्रेस से रायपुर के विधायक रहे।

जानिए, 2017 में आखिर क्यों लगी थी रोक

23 अगस्त 2017 को सरकार ने लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए छात्र संघ चुनाव Students Election पर रोक लगा दी थी। सरकार ने कुलपतियों की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया था, जिसमें कुलपतियों द्वारा चुनाव से शिक्षण संस्थाओं का माहौल खराब होने की बात कही गई थी। साथ ही कहा था कि इससे पढ़ाई प्रभावित होती है। सरकार ने कुलपतियों से कहा था कि, वे मनोनयन प्रक्रिया से छात्र प्रतिनिधियों का चयन करें।

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जानिए, कब-कब लगी छात्रसंघ चुनाव पर रोक

1991- सुंदरलाल पटवा की सरकार ने लगाई रोक लगाई थी।

1994 – तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एमपी से यह रोक हटा दी थी।

1996-97- तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने फिर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाई थी।

2000- छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने रोक हटाई और पहली बार छत्तीसगढ़ में चुनाव हुए। मगर, 2002 में रोक लगा दी गई।

2003- 2005-06 – डॉ. रमन सिंह की सरकार ने चुनाव करवाए, मगर फिर रोक लगा दी। 2012-13 से 15-16 तक चुनाव हुए। तब से रोक लगी हुई है।

जिनकी जिम्मेदारी, उनकी क्या है राय

प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को ज्ञापन दिया गया है। इसके अलावा हाल ही में हुई पार्टी की बैठक में भी निर्णय लिया गया है कि राज्य में इस साल चुनाव कराने के लिए पुरजोर कोशिश करेंगे। अगले कुछ दिनों में कॉलेजों में एनएसयूआई अभियान चलाकर छात्रों को छात्रसंघ चुनाव के लिए प्रोत्साहित करेगी। सभी जिला कलेक्टोरेट के माध्यम से सीएम तक युवाओं की बात पहुंचाने का काम होगा।नीरज पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष, एनएसयूआई

सीएम साय से करेंगे छात्रसंघ चुनाव पर चर्चा छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में कई लोगों को उदय हुआ है। छात्रसंघ चुनाव मौजूदा वक्त की जरूरत है। छात्र राजनीति से ही देश का भविष्य बनता है। छात्रसंघ चुनाव होना चाहिए। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने चर्चा करेंगे। रिकेश सेन, विधायक, वैशाली नगर

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