मोहम्मद जावेद|खबरनवीस. कॉम
साल 2013-14 में रुपए ने जबरदस्त गिरावट के बाद खुद को संभाला और कई तेजियां देखी। राशन के सामानों से लेकर गैजेट के रेट बढ़े, कुछ समय बाद कम भी हो गए। लेकिन एक चीज है, जिसके रेट रुपए के मूल्य में आई तेजी के बाद भी नहीं बदले। वह है होम्योपैथी दवाइयां। रुपए की गिरावट के चलते सभी होम्योपैथी दवाइयां बनाने वाली कंपनियों ने दवाइयों के रेट एकाएक 25 से 60 फीसदी बढ़ा दिए। जिसे अब तक कम नहीं किया गया। सस्ती और फायदेमंद कही जाने वाली होम्योपैथी अब लोगों को महंगी लगने लगी है। खास बात यह भी है कि होम्योपैथी और एलोपैथी के दामों के बीच का अंतर काफी कम हो गया है। या यूं कहा जाए कि लगभग एक समान हो चुका है।
कम हो रहे ग्राहक
होम्यो मेडिकल स्टोर संचालकों का कहना है कि वैसे तो होम्योपैथी दवाइयों की ओर लोगों का झुकाव कम ही रहता है। जो थोड़ा बहुत झुकाव था, उसे दवाइयों की बढ़ी कीमतों ने और घटा दिया। पिछले एक साल में पेशेंट्स की संख्या में भी गिरावट देखी जाने लगी है। क्योंकि होम्योपैथी के दाम एलोपैथी के बराबर पहुंच रहे हैं। लोग एलोपैथी की ओर रुख करने लगे हैं।
अब पांच रुपए में नहीं मिलती पुडिय़ा
होम्यो में प्रैक्टिस कर रहे डाक्टर्स का कहना है कि अब पांच से दस रुपए में किसी पेशेंट का इलाज कर पाना मुश्किल है। कफ सीरप, आईड्रॉप, हेल्थ टॉनिक समेत सबकुछ महंगा हो गया है। यही नहीं प्लास्टिक की छोटी बोलतें, कैप ग्लोबुल तक के दाम बढ़ गए हैं। सस्ती दवाइयों के लिए फेमस होम्योपैथी अब महंगी दवाइयों में गिनी जाने लगी है।
इसलिए बढ़ी कीमत
होम्योपैथी से जुड़े जानकारों का कहना है कि भारत होम्योपैथी टैबलेट बनाने के लिए विदेशों से लेक्टॉस इम्पोर्ट करता है। इसमें थाइलैंड, जर्मनी से कई देश शामिल है। इन देशों ने लेक्टॉस के रेट में बढ़त की जिसका फल सारी दवाइयों पर दिखा।
होम्योपैथी टेबलेट के रेट बढ़ गए है। इसमें 25 से 55 प्रतिशत की बढ़त हुई है। पुराने रेट से देखा जाए तो 65 रुपए की दवा अब 125 में मिल रही है।
शशीकांत सिंह, संचालक, होम्यो हॉल मेडिकल स्टोर
होम्योपैथी दवाइयों के रेट के बढऩे से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि इससे न तो साइडइफेक्ट है और फायदा भी शत् प्रतिशत। इसलिए रूझान ठीक है।
डॉ. योगेश श्रीवास्तव, डॉक्टर, रायपुर होम्योपैथी कॉलेज