नई दिल्ली .आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से कथित तौर पर मारपीट किए जाने के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे बर्ताव पर शर्म आती है कि महिला के साथ जबरदस्ती की गई।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार द्वारा दायर जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बिभव पर आम आदमी पार्टी (आप) की सांसद स्वाति मालीवाल पर हमला करने का आरोप है।
स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिभव कुमार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि, क्या सीएम आवास क्या गुंडे रखने के लिए है। उसने (बिभव कुमार) गुंडे की तरह काम किया और मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुसा। उसने तब भी महिला पर हमला किया, जबकि उसने अपनी शारीरिक स्थिति बता दी। कोर्ट ने पूछा कि एक महिला पर हमला करते हुए क्या उसे शर्म नहीं आई ?
अभिषेक मनु सिंघवी ने बिभव की पैरवी करते हुए कहा कि एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज कराई गई। मालीवाल थाने गई, लेकिन बिना एफआईआर दर्ज कराए लौट गईं। कोर्ट ने चार्जशीट के बारे में पूछा तो वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिस आदेश को हमने चुनौती दी है उसके बाद चार्जशीट दाखिल हुई है।
सिंघवी ने हत्या के दो मामलों में आरोपी को जमानत मिलने का हवाला दिया तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘हमें उन मामलों का हवाला न दें, क्योंकि यहां किस तरह से घटनाक्रम हुआ वो हमारी चिंता का कारण है। आपको एक महिला से ऐसा बर्ताव करते शर्म नहीं आई? हम कॉन्ट्रैक्ट किलर, हत्यारों को भी जमानत देते हैं लेकिन इस मामले में, किस तरह की नैतिक दृढ़ता है?
जस्टिस सूर्यकांतकांत ने पूछा कि क्या सीएम का सरकारी घर निजी आवास है? क्या इसके लिए इस तरह के नियमों की जरूरत है? हम हैरान हैं, यह मामूली या बड़ी चोटों के बारे में नहीं है। हाईकोर्ट ने हर बात को सही तरीके से सुना है। कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अपनाते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर बिभव की जमानत अर्जी पर जवाब मांगा। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त होगी।