सत्ता परिवर्तन के बाद से डोंगरगढ़ नगर पालिका में चल रही सियासी उठापटक का समापन शुक्रवार को हो गया
डोंगरगढ़। नगर पालिका परिषद डोंगरगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद से चल रही सियासी उठापटक का शुक्रवार को समापन हो गया। कांग्रेस समर्थित पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान हुआ, पर प्रस्ताव ध्वस्त हो गया।
पक्ष में 15 पार्षदों ने वोट किया, वहीं विपक्ष में 8 वोट पड़े। प्रस्ताव पास करने के लिए दो तिहाई बहुमत यानी 16 पार्षदों के वोट की जरूरत थी। सुदेश मेश्राम ने अपनी अध्यक्ष की कुर्सी बचाने में सफलता पाई, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी में खुशी का माहौल बन गया।कांग्रेसियों ने ढोल-नगाड़े बजाकर जीत का जश्न मनाया।
बता दें कि सत्ता परिवर्तन के बाद नगर पालिका उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा एक निर्दलीय पार्षद के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे कांग्रेस की शहर सरकार पर संकट मंडराने लगा था। भाजपा ने अपने पार्षद दल के साथ मिलकर कांग्रेस समर्थित पालिका अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया, पर वे सफस नहीं हो पाए।
डोंगरगढ़ नगर पालिका में कुल 24 वार्ड हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के 11, भाजपा के 10 और तीन निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे। निर्दलीय पार्षद अनीता इंदुलकर बाद में भाजपा में शामिल हो गईंं, जिससे स्थिति बराबर हो गई थी। बाद में दो निर्दलीय पार्षदों के सहयोग से कांग्रेस के सुदेश मेश्राम अध्यक्ष और निर्दलीय पार्षद उमा महेश वर्मा को उपाध्यक्ष चुना गया।
वर्तमान स्थिति में कांग्रेस के एक पार्षद की मृत्यु हो जाने के बाद पालिका में अब 23 पार्षद हैं। आज नगर पालिका परिषद के सभा गृह में अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किया गया, जिसमें प्रस्ताव ध्वस्त हो गया।