सीएमएचओ ने लोगों से अपील करते हुए सांप के काटने की घटना के बाद कई गलतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया, इसके लिए क्या करें और क्या नहीं करें की जानकारी भी सीएमएचओ ने दी है।
रायपुर। बरसात में आकाशीय बिजली और सर्पदंश से बचाव के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. यूएल कौशिक ने सावधानियां बरतने की अपील की है। उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में आकाशीय बिजली गिरने की घटना अधिक होती है। इससे लोगों के साथ ही पशु-पक्षियों की भी मौत हो जाती है, यहां तक कि पेड़ भी झुलस जाते हैं। इसके लिए क्या करें और क्या नहीं करें की जानकारी भी सीएमएचओ ने दी है।
इस दौरान क्या करें..
तत्काल पानी, बिजली के तार, खम्भों, हरे पेड़ों और मोबाईल टावर आदि से दूर हट जाएं। बच्चों को बिजली के उपकरण से दूर रखें। आसमान के नीचे हैं तो अपने हाथों को कानों पर रख लें ताकि बिजली की आवाज से कान के परदे ना फट जाएं। अपनी दोनों एडिय़ों को जोड़कर जमीन पर उकड़ू बैठ जाएं, छतरी या सरिया जैसी कोई चीज है तो अपने से दूर रखें। ऐसी चीजों से अपने आसपास बिजली के गिरने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। पराली आदि के ढेर से दूर रहें, नहीं तो इसमें आग लग सकती है। बिजली से चलने वाले यंत्रों व उपकरणों को तत्काल बंद करें, मछूवारे मौसम के पूर्वानुमान के बाद ही तालाब, झिरीया, नदी, नाले में जाएं।
इस समय ये ना करें..
बिजली चमकने के दौरान अगर एक से ज्यादा लोग हों तो एक-दूसरे से दूरी बनाए रखें, एक दूसरे का हाथ बिल्कुल नहीं पकड़ें। खाली पैर पानी का नल नहीं छुएं, दोपहिया वाहन सायकल, ट्रक, नौका, खुले वाहन आदि में सवार होकर खुली जगह पर भ्रमण न करें। कपड़े सुखाने के लिए तार का प्रयोग ना कर जूट या रस्सियों का प्रयोग करें। खिड़कियों, दरवाजे और बरामदे में भी नहीं जाएं, मोबाईल चार्ज या किसी अन्य उपकरण को प्लग करने के साथ उसका इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। खुले मैदान में जहां कोई पेड़ या ऊंची रचना हो, वहां खड़े रहने की गलती ना करें।
ये है सर्पदंश के लक्षण
डॉ. कौशिक ने बरसात के मौसम में सर्पदंश के लक्षण और बचाव की जानकारी देते हुए बताया कि सांपों के काटने के स्थान पर दांतों के निशान काफी हल्के होते हैं, दंश स्थान पर तीव्र जलन, पलकों का गिरना, अनैच्छिक मल-मूत्र त्याग, मिचली आना, किसी वस्तु का दो दिखलाई देना, अंतिम अवस्था में चेतनाहीनता तथा मांसपेंशियों में ऐंठन, दंश जगह पर तीव्र पीड़ा, खुजलाहट, हाथ-पैरों में झनझनाहट, चक्कर आना, दम घुटना इत्यादि लक्षण हैं।
ये है सर्पदंश से बचाव
वहीं सर्पदंश से बचाव के बारे में बताया गया कि कुएं या गड्ढे में अनजाने में हाथ नहीं डालें, बरसात में अंधेरे में नंगे पांव न घूमें, जूते को झड़ाकर पहनें, सांप को पकडऩे या छेडऩे की कोशिश नहीं करें, घरों में गोबर के कंडों के ढेर, पैरा, लकड़ी के गठ्ठे का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतें।
सर्पदंश में ये करें..
धीमी गति से रक्त का बहाव और विष का फैलाव धीमा करने के लिए रोगी को दिलासा दें, काटे हुए शरीर के अंग को स्थिर रखकर पट्टी का उपयोग करें, पीडि़त व्यक्ति को लेटे हुए स्थिति में रखकर तत्काल अस्पताल ले जाएं, काटे हुए छोर से अंगूठियां, कंगन, जूते या अन्य दबाव वाले वस्तु को निकालें तथा तत्काल 108 संजीवनी एक्सप्रेस को कॉल करें या नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज कराएं।
सर्पदंश में ये ना करें..
किसी भी बंधन या संपीडन पट्टी को ना लगाएं, काटे गए स्थान पर ज्यादा कसकर न बांधें, जहर को निकालने के लिए चूसना या चीरा देना इत्यादि ना करें, रोगी को मादक पदार्थ या एस्प्रीन न दें, पीडि़त व्यक्ति को चलने ना दें, काटने की जगह पर बर्फ लगाकर इसे ठंडा ना करें तथा बैगा-गुनिया के चक्कर में ना फंसकर झाड़-फूंक न कराएं। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की नि:शुल्क स्वास्थ्य परामर्श टोल फ्री नंबर 104 पर डायल कर स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारी ले सकते हैं।