Friday, November 22, 2024

कानून के हाथ लंबे होते हैं, जी हां, इंजीनियर ने 38 साल पहले 20 हजार का किया था घोटाला, रिटायरमेंट के 16 साल बाद मिली सजा

0 त्रिवेणी नहर जमीन घोटाला मामले में विशेष निगरानी कोर्ट का अनोखा फैसला, इंजीनियर को मिली 4 साल की कैद और 10 हजार का जुर्माना

मुजफ्फरपुर। यहां एक ऐसे मामले पर कोर्ट से फैसला आया है जिससे सीख ली जा सकती है कि अपने कर्तव्य से गड़बड़ी करने पर आज नहीं तो कल सजा अवश्य मिलती है। 38 साल बाद कोर्ट से फैसला आने पर रिटायर्ड इंजीनियर के पैरों तले समझो जमीन खिसक गई.. जी.. हां यह बात हर किसी को आश्चर्य में डालने वाली है। बता दें कि त्रिवेणी नहर जमीन घोटाला मामले में विशेष निगरानी कोर्ट का अनोखा फैसला आया है।

घोड़ासाहन स्थित त्रिवेणी नहर की मरम्मत में हुए मात्र 20 हजार रुपये के घोटाले के एक मामले में 38 साल के बाद विशेष निगरानी न्यायालय में फैसला आया। इसमें दोषी पाए गए पटना निवासी तत्कालीन सहायक अभियंता 76 वर्षीय सुरेंद्रनाथ वर्मा को 4 साल कैद व 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। जुर्माना नहीं भरने पर जेल की सजा बढ़ा दी जाएगी।

पुलिस रिकार्ड के अनुसार त्रिवेणी नहर मरम्मत के दौरान यह गड़बड़ी सामने आई थी। घोटाला वित्तीय वर्ष 1986-87 में हुआ था। तब सुरेंद्रनाथ वर्मा पूर्वी चंपारण के रामनगर अवर प्रमंडल में पदस्थापित थे। विशेष निगरानी न्यायाधीश सत्यप्रकाश शुक्ला ने सजा के बाद सुरेंद्रनाथ को जेल भेज दिया।

1.50 करोड़ रुपये का घोटाला पाया गया

मामले में साक्ष्य पेश करने वाले विशेष लोक अभियोक कृष्णदेव साह ने बताया कि घोड़ासाहन में त्रिवेणी नहर के मरम्मत में घोटाले की जांच मुख्यालय स्तर पर तत्कालीन डीआईजी डीपी ओझा के नेतृत्व में निगरानी टीम ने की थी। तीन करोड़ के मिट्टी के कार्य की जांच में एक हजार स्थलों पर गड़बड़ी पाई गई। इसमें 1.50 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया।

घोटाले में हुई थी 13 एफआईआर

इस घोटाले को लेकर निगरानी ब्योरो ने अलग-अलग 13 एफआईआर दर्ज कराई। इसमें जून 1987 को 20 हजार 925 रुपये के घोटाले के आरोप में तत्कालीन निगरानी इंस्पेक्टर अरुण कुमार सिंह विनीत ने एक एफआईआर दर्ज की।

इसमें सुरेंद्रनाथ के अलावा तत्कालीन कार्यपालक अभियंता रामचंद्र प्रसाद सिंह, तत्कालीन जूनियर इंजीनियर नवल किशोर प्रसाद सिंह और ठेकेदार समी खान को आरोपित बनाया गया था।

विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि निगरानी जांच में पाया गया कि ठेकेदार समी खान ने महज 1031 रुपये का काम कराया था, लेकिन उससे घूस लेकर 21 हजार 956 रुपये का भुगतान किया गया।

तीन आरोपी की हो चुकी है मौत

इस तरह 20 हजार 925 रुपये का घोटाला हुआ। जांच के बाद निगरानी ब्योरो ने मट्रायल के दौरान तीन आरोपित रामदचंद्र प्रसाद सिंह, नवल किशोर प्रसाद सिंह और ठेकेदार समी खान की मौत हो गई। जिंदा बचे तत्कालीन सहायक अभियंता पर ट्रायल चला। इसमें फैसला सुनाकर उन्हें सजा दी गई।

विशेष लोक अभियोजक कृष्णदेव साह ने बताया कि त्रिवेणी नहर मरम्मत में घोटाला के 13 मामलों में 38 साल के दौरान अब तक पांच मामलों में फैसला हो चुका है। तीन में आरोपितों को सजा और दो में सभी को रिहाई मिल गई। आठ मामले अभी न्यायालय में सुनवाई के अधीन है।

sankalp
Aadhunik

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