Friday, September 20, 2024

10 साल बाद लोकसभा को मिला विपक्ष का नेता, 2014 और 2019 के चुनाव में विपक्षी पार्टियों को नहीं मिली थी इस पद के लायक सीटें

  • दो लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में उभरी
  • उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष का करेंगे नेतृत्व

नई दिल्ली। देश को 10 साल बाद लोकसभा में विपक्ष का नेता मिल गया है। 2014 और 2019 में चूंकि कोई भी विपक्षी पार्टी लोकसभा चुनावों में इतनी सीटें नहीं जीत सकी थी कि उसे विपक्ष के नेता का पद मिल सके इसलिए यह पद खाली था। पिछली दो लोकसभा में पहले मल्लिकार्जुन खरगे और उनके बाद अधीर रंजन चौधरी एक तरह से विपक्ष का नेतृत्व कर रहे थे, लेकिन इस बार कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और उसने निर्णय लिया है कि उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे।

राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनाये जाते ही भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। साथ ही, भारत की राजनीति में उत्तर प्रदेश का कितना महत्व है इसे इस बात से समझ सकते हैं कि देश के प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सांसद हैं और विपक्ष के नेता भी इसी प्रदेश से सांसद चुने गये हैं। देखा जाये तो राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के रूप में बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिली है, यदि वह इसे सही से निभा पाये तो यकीनन प्रधानमंत्री बनने का उनका सपना भी पूरा हो सकता है।

चुनाव के दौरान बेहद सक्रिय रहे राहुल

राहुल गांधी ने हालिया संपन्न लोकसभा चुनावों में जिन मुद्दों को उठा कर अपनी पार्टी को बड़ी बढ़त दिलाई, यदि वह उन मुद्दों को संसद में भी प्रभावी ढंग से उठा कर देश की जनता की समस्याओं का हल करवा पाये तो वह अपनी उस छवि से बाहर निकल सकते हैं जिसके तहत कहा जाता है कि राहुल गांधी गंभीर राजनीतिज्ञ नहीं हैं। वैसे विपक्ष का नेता बनते ही जिस तरह राहुल गांधी टी-शर्ट छोड़कर कुर्ते पायजामे में संसद भवन पहुँचे उससे उन्होंने काफी संकेत और संदेश दे दिये हैं।

अगर ऐसा हुआ तो राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिलेगा

एक दिन पहले हाथ में संविधान की प्रति लेकर लोकसभा की सदस्यता की शपथ लेने वाले राहुल गांधी यदि संसदीय परम्पराओं को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष के नेता के रूप में सफल हुए तो भारतीय राजनीति में एक और नया मोड़ देखने को मिल सकता है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि पिछली लोकसभा के दौरान अदालती आदेश के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होने पर उनका सरकारी आवास वापस ले लिया गया था, लेकिन इस बार वह बतौर विपक्ष के नेता बड़े सरकारी आवास के और कैबिनेट रैंक की सुविधाओं के हकदार होंगे।

पीएम चयन समितियों में भी शामिल रहेंगे

साथ ही राहुल गांधी अब प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कई महत्वपूर्ण चयन समितियों के भी सदस्य हो जाएंगे। यानि अब मोदी से उनका आमना सामना सिर्फ संसद में ही नहीं बल्कि कई समितियों में भी होगा। वैसे लोकसभा अध्यक्ष के रूप में ओम बिरला के निर्वाचन के समय राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से हाथ मिलाकर संकेत दिया है कि वह सकारात्मक और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

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