नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई और जीवन यापन करने की लागत को देखते हुए यह केंद्र सरकार ने खासकर मजदूरों का स्तर ऊंचा उठाने की योजना पर काम कर रही है। ऐसे में कहा जाए कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में दिहाड़ी मजदूरों को आगे बड़ी राहत मिलेगी। मामले पर बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई बैठक में मजदूरों का न्यूनतम वेतन बढ़ाने पर विचार मंथन किया गया।
बैठक में मनरेगा के तहत काम का समय दोगुना करने की मांग रखी गई है। माना जा रहा है कि इस पर जुलाई में पेश होने वाले बजट में निर्णय हो सकता है। बजट से पहले सभी व्यावसायिक और श्रमिक संगठनों ने वित्तमंत्री के साथ प्री-बजट बैठक की, जिसमें यह बात रखी गई।
बैठक में विभिन्न संगठनों ने कहा है कि मिनिमम वेज को मौजूदा 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 26 हजार कर दिया जाना चाहिए। बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत को देखते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट के तहत साल में काम करने के दिन को भी बढ़ाने की बात रखी गई। बता दें कि मनरेगा के तहत वर्तमान में साल में 100 दिन काम देने की गारंटी मिलती है। इसे बढ़ाकर 200 दिन करने की मांग की गई ताकि मजदूरों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
संगठनों ने कई योजनाओं के कर्मियों को स्थायी करने की भी मांग की है। इसमें आंगनवाड़ी कार्यकता, आशा कार्यत्री, पैरा टीचर्स शामिल हैं। इन कर्मियों को स्थायी करने के साथ पेंशन देने का भी प्रावधान किया जा सकता है। इसके अलावा केंद्र की ओर से चलाई जा रही योजनाओं की फंडिंग बढ़ाने की भी मांग की गई है।
अन्नदाताओं की बड़ी मांग
इस दौरान संगठनों ने देश के किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए सभी फसलों पर एमएसपी लागू करने और डॉ. एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग की है। इसमें किसानों से सरकारी खरीद की गारंटी देने सहित उनके लिए सामाजिक सुरक्षा फंड तैयार करने की भी मांग की गई है।