Thursday, November 21, 2024

क्या आपको पता है कि IRCTC हमें मनचाहा सीट चुनने की अनुमति क्यों नहीं देता? इसके पीछे ये है तकनीकी (Physics) वजह

0 भारतीय रेलवे टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से टिकटों की करता है बुकिंग, सॉफ्टवेयर इस तरह से सीटें बुक करता है कि सभी कोचों में एक समान यात्री वितरण हो

ट्रेनों में सफर करना सुरक्षित और सुविधाजनक होता है। यदि हमें कभी लंबी यात्रा करनी हो तो ट्रेनों को ही तवज्जो देते है। लेकिन जब हम ट्रेन की सीट बुक करते हैं तो हमें मनचाही सीट नहीं मिलती है। क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है? ट्रेन में सीट बुक करना किसी थिएटर में सीट बुक करने से कहीं अधिक अलग है। थिएटर एक हॉल है, जबकि ट्रेन एक चलती हुई वस्तु है। इसलिए ट्रेनों में सुरक्षा की चिंता बहुत अधिक है।

सॉफ्टवेयर बुक करता है टिकट

भारतीय रेलवे टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह ट्रेन में समान रूप से लोड वितरित करने के हिसाब से टिकट बुक करेगा। इसे इस प्रकार समझ सकते हैं। मान लें कि ट्रेन में S1, S2 S3… S10 नंबर वाली स्लीपर क्लास के कोच हैं और प्रत्येक कोच में 72 सीटें हैं।

जब कोई पहली बार टिकट बुक करता है, तो सॉफ्टवेयर मध्य कोच में एक सीट आवंटित करेगा। अर्थात S5 में बीच की सीट और 30-40 के बीच की संख्या वाली सीट। वहीं सॉफ्टवेयर पहले ऊपरी वाले की तुलना में निचली बर्थ को भरता है ताकि कम गुरुत्वाकर्षण केंद्र प्राप्त किया जा सके।

सभी कोच में एक समान यात्री का वितरण

हम आपको ये भी बता दें कि सॉफ्टवेयर इस तरह से सीटें बुक करता है कि सभी कोचों में एक समान यात्री वितरण हो और सीटें बीच की सीटों 36 से शुरू होकर गेट के पास की सीटों तक यानी 1-2 या 71-72 से निचली बर्थ से ऊपरी तक भरी जाती हैं।

रेलवे सिर्फ एक उचित संतुलन बनाना चाहता है कि प्रत्येक कोच में समान भार वितरण होना चाहिए। यही वजह है कि जब आप आखिरी में टिकट बुक करते हैं, तो आपको हमेशा एक ऊपरी बर्थ और एक सीट लगभग 2-3 या 70 के आसपास आवंटित की जाती है। सिवाय इसके कि जब आप किसी ऐसे व्यक्ति की सीट नहीं ले रहे हों जिसने अपनी सीट रद्द कर दी हो।

बेतरतीब सीट बुकिंग पर हो सकता है खतरा

यदि रेलवे बेतरतीब ढंग से टिकट बुक करता है, तो खतरा हो सकता है। इसे ऐसे समझें। ट्रेन एक चलती हुई वस्तु है जो ट्रैक पर करीब 100 किमी/घंटा की गति से चलती है। इसलिए ट्रेन में बहुत सारे बल और यांत्रिकी काम कर रहे होते हैं।

अगर S1, S2, S3 पूरी तरह से भरे हुए हैं और S5, S6 पूरी तरह से खाली हैं और अन्य आंशिक रूप से भरे हुए हैं। ऐसे में जब ट्रेन एक मोड़ लेती है तो कुछ डिब्बे अधिकतम अपकेंद्र बल (centrifugal force) का सामना करते हैं और कुछ न्यूनतम।ऐसे में ट्रेन के पटरी से उतरने की संभावना अधिक होती है।

यह एक बहुत ही तकनीकी पहलू है। जब ब्रेक लगाए जाते हैं तो कोच के वजन में भारी अंतर के कारण प्रत्येक कोच में अलग-अलग ब्रेकिंग फोर्स काम करती हैं, इसलिए ट्रेन की स्थिरता फिर से एक मुद्दा बन जाती है।

sankalp
Aadhunik

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