Wednesday, April 16, 2025

Poisonous water: प्रशासन की बड़ी लापरवाही! PG कॉलेज में छिपकली वाला पानी पीने से कई बच्चे बीमार, मचा हड़कंप

Poisonous water: PG कॉलेज में छिपकली वाला पानी पीने का बड़ा मामला सामने आया है। जहां प्रशासनिक की लापरवाही के चलते बच्चों को जहरीला पानी पीना पड़ा। जिसके बाद कई बच्चे बीमार पड़ गए। इस घटना से कॉलेज में डर और गुस्से का माहौल बना हुआ है।

Poisonous water: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर स्थित राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छात्रों के स्वास्थ्य को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है। जानकारी मुताबिक कॉलेज के वॉटर कूलर के फिल्टर में मरी हुई छिपकली मिलने से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि इसी वॉटर कूलर का पानी कई छात्रों ने पी लिया था, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। इस घटना के बाद से छात्र डरे और सहमे हुए हैं।

Poisonous water: वॉटर फिल्टर में मरी हुई छिपकली मिली

वहीं कॉलेज के छात्रों ने बताया कि इस संबंध में प्राचार्य को पहले ही सूचना दे दी गई थी, लेकिन न तो कोई ठोस कार्रवाई की गई और न ही फिल्टर की सफाई कराई गई। कॉलेज की स्थिति इतनी बदहाल है कि पीने के लिए केवल एक ही वॉटर फिल्टर उपलब्ध है, जो कि खराब हालत में है। वहीं कॉलेज के एक छात्र ने बताया कि वाटर फिल्टर में मरी हुई छिपकली मिली है। शनिवार को कुछ छात्रों ने इसकी जानकारी दी थी, जिसे मैंने तुरंत प्रिंसिपल को भी बताया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

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फिल्टर की सफाई तक नहीं कराई गई। कई छात्र वही पानी पी चुके हैं और अब उनकी तबीयत बिगड़ रही है। कॉलेज की स्थिति बेहद खराब है। यहां सिर्फ एक फिल्टर है जिसमें छिपकली मिली। कुछ फिल्टर बाथरूम के पास लगे हैं, जहां लोग शौच के लिए जाते हैं। कुछ फिल्टर से पानी नहीं आता तो कुछ में जंग लग चुका है। सभी फिल्टर खराब हैं छात्रों को मजबूरी में बाहर से पानी खरीदकर पीना पड़ता है।

प्रशासन की बड़ी लापरवाही

Poisonous water: कॉलेज की प्राचार्य स्नेहलता श्रीवास्तव ने सफाई देते हुए कहा कि छात्र नेताओं से समस्याएं सुनी हैं और फिल्टर की सफाई के निर्देश दे दिए गए हैं, जिन छात्रों की तबीयत खराब हुई है, उन्हें अस्पताल भेजा गया है। मैं इसे लापरवाही नहीं कहूंगी क्योंकि कल कलेक्टर का ब्रीफिंग था, जिसमें हम व्यस्त थे। हालांकि छात्रों का आरोप है कि उन्हें दुर्गंध के बावजूद यही पानी पीना पड़ा क्योंकि विकल्प नहीं था। फिलहाल, कॉलेज प्रशासन की लापरवाही और खराब व्यवस्थाएं एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं।

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